| Volume 2, Issue (2), Pages 1-48, December (2013) | |
| 1 . | सम्पादकीय : दलों के दलदल से निकलने की संभावना डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 2(2),1 - 2 (2013) | 
| 2 . | हिन्दी भाषा और जनसंचार माध्यम डा. मनीषा शर्मा, 2(2),3 - 5 (2013) | 
| 3 . | कबीर का स्त्री संबंधी चिंतन दीप कुमार मित्तल, 2(2),6 - 13 (2013) | 
| 4 . | भारतीय सन्दर्भ में एंगेल्स के कालजयी चिंतन का पुनर्पाठ प्रो. पुष्पेन्द्र दुबे, 2(2),14 - 24 (2013) | 
| 5 . | संत कबीर के काव्य में सामाजिक चेतना डॉ.शीतल राठौर, 2(2),25 - 28 (2013) | 
| 6 . | लोक साहित्य में रोजगार की संभावनाएंथ निलेश राउत, 2(2),29 - 34 (2013) | 
| 7 . | दलित सशक्तिकरण और गौतम बुद्ध: नानकचन्द, शोधार्थी, 2(2),35 - 38 (2013) | 
| 8 . | सूरदास और भक्ति रस तरूणा दाधीच, शोधार्थी, 2(2),39 - 44 (2013) | 
| 9 . | समाज और शिक्षा में  संबंध डा.बलवीर सिंह जमवाल, 2(2),45 - 48 (2013) | 
Editorial
							
					 
			
		 
				
			 
				 
						 Medha Innovation & Development
 
					Medha Innovation & Development