Volume 4, Issue (7), Pages 1-80, May (2016) |
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1 . |
सम्पादकीय:भाषा से मात खाती न्याय व्यवस्था चंद्रशेखर धर्माधिकारी, 4(7),1 - 3 (2016) |
2 . |
डॉ.प्रेम भारती रचित कुरुक्षेत्र की राधा का विश्लेषणात्मक अध्ययन स्वाति मिश्र (शोधार्थी), 4(7),4 - 7 (2016) |
3 . |
मधु कांकरिया के ‘सलाम आखिरी’ उपन्यास का विश्लेषणात्मक अध्ययन मनाली सिंह (शोधार्थी), 4(7),8 - 12 (2016) |
4 . |
पूंजीवाद : नया साहित्य, नए विमर्श सीमा मिश्रा (शोधार्थी), 4(7),13 - 16 (2016) |
5 . |
स्नातक स्तर के विद्यार्थियों का साहित्य के अन्तर्गत ग्रामीण जीवन का परीक्षण कांता शर्मा (शोधार्थी), 4(7),17 - 22 (2016) |
6 . |
प्रेमचंद के साहित्य में ग्रामीण जीवन(‘गोदान’ के संदर्भ में) डॉ. सीमा हिन्डोलिया, 4(7),23 - 26 (2016) |
7 . |
भगवानदास मोरवाल के उपन्यासों में ग्रामीण जीवन नेहा गुप्ता (शोधार्थी), 4(7),27 - 29 (2016) |
8 . |
‘ग्लोबल गाँव के देवता’ : औद्योगीकरण की आँधी में उजड़ते गांव’ कमल सिन्हा (शोधार्थी), 4(7),30 - 33 (2016) |
9 . |
चित्रा मुद्गल के उपन्यासों में सामाजिक युगबोध प्रियंका वर्मा,डॉ. परमेश्वर दत्त शर्मा शोध संस्थान , 4(7),34 - 37 (2016) |
10 . |
प्रेमचंद के उपन्यासों में ग्रामीण जीवन गणेश भंवर (शोधार्थी),डॉ.ज्योति सिंह (निर्देशक), 4(7),38 - 41 (2016) |
11 . |
‘मैला आँचल’ का समाजशास्त्रीय अध्ययन(ग्रामीण जीवन के संदर्भ में) अनीता पाटीदार (शोधार्थी), 4(7),42 - 44 (2016) |
12 . |
परम्परागत जनसंचार माध्यम और ग्रामीण जीवन विकास ठाकुर (शोधार्थी), 4(7),45 - 48 (2016) |
13 . |
भारतीय ग्रामीण सामाजिक जीवन के परिवर्तित स्वरूप गोल्डी चुटेल (शोधार्थी), 4(7),49 - 51 (2016) |
14 . |
जनजाति महिलाओं में नगरीकरण के प्रभाव का अध्ययन कु.शारदा भिंडे (शोधार्थी),डॉ.मंजु शर्मा (प्राध्यापक), 4(7),52 - 56 (2016) |
15 . |
हिंदी उपन्यासों में ग्रामीण परिवेश डॉ.अनुकूल सोलंकी, 4(7),57 - 59 (2016) |
16 . |
जितेन्द्र श्रीवास्तव के काव्य में ग्रामीण जीवन भोजराज बारस्कर (शोधार्थी),डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे (निर्देशक), 4(7),60 - 66 (2016) |
17 . |
भारत और मध्य एशिया : परस्पर संबंधों का ऐतिहासिक विवेचन अमित कुमार सिंह असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, 4(7),67 - 72 (2016) |
18 . |
74वां संविधान संशोधन और भारत में नगरीय स्वशासन डॉ. चन्द्रलेखा सांखला (अतिथि विद्वान), 4(7),73 - 75 (2016) |
19 . |
Rural Life In Short Stories Haris Hamzah Lone (Researcher), 4(7),76 - 80 (2016) |
Editorial